Category: जीवन परिचय

  • गोस्वामी तुलसीदास जी का जीवन परिचय और रचनाएँ (Goswami Tulsidas)

    गोस्वामी तुलसीदास जी का जीवन परिचय और रचनाएँ (Goswami Tulsidas)

    हिंदी साहित्य के श्रेष्ठ कवि गोस्वामी तुलसीदास भक्तिकाल की सगुण भक्ति धारा की रामभक्ति शाखा के प्रतिनिधि कवि माने जाते हैं। तुलसी बहुमुखी प्रतिभा के धनी कवि थे। कवि तुलसीदास की प्रतिभा-किरणों से न केवल हिन्दू समाज और भारत, बल्कि समस्त संसार आलोकित हो रहा है। तुलसीदास जी भारतीय हिन्दी साहित्य के सर्वोच्च कवि थे,…

  • महाकवि सूरदास का जीवन परिचय (Surdas  ka jeevan Parichay)

    महाकवि सूरदास का जीवन परिचय (Surdas ka jeevan Parichay)

    सूरदास हिन्दी के भक्तिकाल के महान कवि थे। हिन्दी साहित्य में भगवान श्रीकृष्ण के अनन्य उपासक और ब्रजभाषा के श्रेष्ठ कवि महात्मा सूरदास हिंदी साहित्य के सूर्य माने जाते हैं। सूरदास जन्म से अंधे थे या नहीं, इस संबंध में विद्वानों में मतभेद है। भक्तमाल के रचयिता श्रीनाभा जी ने लिखा है कि सूरदासजी उद्धवजी…

  • कबीरदास का जीवन परिचय | kabir das jivan parichay |Kabir das biography in hindi

    कबीरदास का जीवन परिचय | kabir das jivan parichay |Kabir das biography in hindi

    कबीरदास का जीवन परिचय | kabir das ka jivan parichay |Kabir das biography in hindi हिन्दी साहित्य का इतिहास बहुत पुराना है, हिन्दी साहित्य का द्वितीय चरण भक्तिकाल के नाम से जाना जाता है। भक्ति काल को सवर्णयुग के नाम से जाना जाता है। इस युग में दो धाराएं चली निर्गुणधारा और सगुणधारा। निर्गुणधारा में…

  • चैतन्य महाप्रभु जीवन परिचय | Chaitanya Mahaprabhu biography in hindi

    चैतन्य महाप्रभु जीवन परिचय | Chaitanya Mahaprabhu biography in hindi

    चैतन्य ( बंगाली : চীতন্য ) का अर्थ है “जो जागरूक है” (चेतना से व्युत्पन्न, जिसका अर्थ है “चेतना”); महा का अर्थ है “महान” और प्रभु का अर्थ है “भगवान” या “गुरु” चैतन्य महाप्रभु 16 वीं शताब्दी के वैदिक आध्यात्मिक नेता थे, जिन्हें उनके अनुयायी भगवान कृष्ण का अवतार मानते हैं। चैतन्य ने गौड़ीय वैष्णववाद…

  • अष्टावक्र जी का संपूर्ण परिचय | Ashtavakra Biography

    अष्टावक्र दुनिया के प्रथम ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने सत्य को जैसा जाना वैसा कह दिया। न वे कवि थे और न ही दार्शनिक। चाहे वे ब्राह्मणों के शास्त्र हों या श्रमणों के, उन्हें दुनिया के किसी भी शास्त्र में कोई रुचि नहीं थी। उनका मानना था कि सत्य शास्त्रों में नहीं लिखा है। शास्त्रों में…

  • महर्षि भारद्वाज (Maharishi Bharadwaj)

    भारद्वाज प्राचीन भारतीय ऋषि थे। । चरक संहिता के अनुसार भारद्वाज ने इन्द्र से आयुर्वेद का ज्ञान पाया। ऋक्तंत्र के अनुसार वे ब्रह्मा, बृहस्पति एवं इन्द्र के बाद वे चौथे व्याकरण-प्रवक्ता थे। उन्होंने व्याकरण का ज्ञान भी इन्द्र से प्राप्त किया था तो महर्षि भृगु ने उन्हें धर्मशास्त्र का उपदेश दिया। तमसा-तट पर क्रौंचवध के…

  • महर्षि लोमेश की जीवनी Maharshi Lomesh

    महर्षि लोमेश बहुत महान ऋषि थे लोमश ॠषि राम कथा के मुख्य प्रवचनकार थे |उनका सारा शरीर रोओं से भरा पड़ा था इसलिए लोमश कहलाएॕ । इनने 100 वर्षों तक भगवान शिव की आराधना कमल पुष्पों से की थी| लोमश ऋषि परम तपस्वी तथा विद्वान थे। इन्हें पुराणों में अमर माना गया है। हिन्दू महाकाव्य…

  • मीराबाई जीवन परिचय

    मीराबाई जीवन परिचय

    भारत अपनी संस्कृति के लिए पूरे विश्व में यूं ही इतना विख्यात नहीं है। भारतभूमि पर ऐसे कई संत और महात्मा हुए हैं जिन्होंने धर्म और भगवान को रोम-रोम में बसा कर दूसरों के सामने एक आदर्श के रुप में पेश किया है। मोक्ष और शांति की राह को भारतीय संतों ने सरल बना दिया…

  • चक्रवर्ती सम्राट राजा विक्रमादित्य (Vikramaditya)

    भारत में चक्रवर्ती सम्राट उसे कहा जाता है जिसका की संपूर्ण भारत में राज रहा है। ऋषभदेव के पुत्र राजा भरत पहले चक्रवर्ती सम्राट थे, जिनके नाम पर ही इस अजनाभखंड का नाम भारत पड़ा। उज्जैन के सम्राट विक्रमादित्य भी चक्रवर्ती सम्राट थे। राजा विक्रमादित्य का जन्म सम्राट विक्रमादित्य का जन्म 101 ईशा पूर्व हुआ…

  • महान कवि बाबा भर्तृहरि जी (Bhartṛhari)

    राजा भर्तृहरि एक महान शासक, तपस्वी एवं संस्कृत साहित्य के महान ज्ञाताओं में से एक थे। वे अपने समय में ही नहीं बल्कि आज भी शब्द विद्या के महान आचार्य कहे जाते हैं। भर्तृहरि ने वैराग्य धारण करने के बाद संस्कृत के कई ऐसे ग्रंथों की रचना भी की थी जो आज भी पढ़े जाते…