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प्रार्थना

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हे अजर-अमर अविनाशी! परमपिता परमात्‍मा! हे ज्‍योतिस्‍वरूप! हे ज्ञान स्‍वरूप! अनाथों के नाथ! अजर-अमर परमात्‍मा! तुम्‍हीं राष्‍ट्रधार-जगताधार हो, सर्वोकृष्‍ट तथा सर्वोपरि हो। हम सब तुम्‍हारे अबोध बालक-बालिकाएं तुझको बारम्‍बार प्रणाम करते हैं।


हे परम प्रभु! तेरी प्रार्थना में बड़ी शक्ति है। यह भी सच है कि प्रार्थना से बड़ी कोई शक्ति संसार में नहीं है। हमें ऐसी शक्ति दें कि हम अविनय, उदण्‍डता, अंहकार, कठोरता एवं रिक्‍तता से सदैव दूर रहें।

आप हमें वह सद्-बुद्धि प्रदान कीजिए, सक्षम दृष्टि दीजिए, जिसके प्र‍काश में हम उचित निर्णय लेकर सत्‍कर्मो के उत्‍तम पथ पर अग्रसर हो सकें। ऐसी सुमति प्रदान कीजिए कि हम असत्‍य से सत्‍य की ओर, अन्‍धकार से प्रकाश की ओर, दु:ख से सुख की ओर निरन्‍तर बढ़ते रहें।

मन में उठने वाले कषाय-कल्‍मष, विकार-वासनाओं के तीव्र वेग को दबाने की शक्ति भी हमें प्रदान करना।


हे विधाता脉! प्राणीमात्र में हम तेरे ही दर्शन कर सकें। जीवमात्र के प्रति हमारे मन में करूणा जगे, प्रेम जगे, दया जागृत हो तथा हमारा हृदय संवेदना-सहानुभूति से सदा भरा रहे।


हे जगदीश्‍वर! जिसके पथ प्रदर्शक स्‍वंय आप हैं, उसका कदापि पतन नहीं होता। हमारे जीवन में कितनी आपदाएं, मुसीबतें, परे‍शानियां आने पर भी हमारे कदम तेरी भक्ति के सुमार्ग से न डगमगाएं, ऐसा आशीर्वाद प्रदान करना।

यह राष्‍ट्र, यह विश्‍व आपकी मंगलमयी शक्ति से सुशोभित हो। यही प्रार्थना है, याचना है, इसे स्‍वीकार करो नाथ।


ऊँ. शान्‍ति:! शान्‍ति:! शान्‍ति:! ऊँ.
-आचार्य सुधांशु

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